2 साल पूरा करने जा रही मोहन सरकार के दो फैसले पलटे
ममलेश्वर लोक प्रोजेक्ट को रद्द करने के फैसले पर लोगों ने जश्न मनाया
भोपाल। मध्य प्रदेश में 2 साल पूरे करने जा रही मोहन यादव सरकार ने बीते 24 घंटे के भीतर दो बड़े फैसले पलटे है। ये पहली बार है कि जब मोहन सरकार की ऐसी किरकिरी हुई है। सिंहस्थ लैंड पूलिंग एक्ट को वापस लेने के सरकार के फैसले के बाद किसानों ने उज्जैन में आतिशबाजी की। वहीं, ममलेश्वर लोक प्रोजेक्ट को रद्द करने के फैसले पर ओंकारेश्वर में भी लोगों ने भी जश्न मनाया।
अहम सवाल ये है कि आखिर इसकी नौबत क्यों आई? धार्मिक पर्यटन के लिए मोहन सरकार जो स्कीम ला रही है, उस योजना को बनाने से पहले लोगों से मशविरा क्यों नहीं हो रहा है?
वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक कहते हैं, अगर अफसर और नेता इसतरह के प्लान बनाने से पहले लोगों को भरोसे में लेते, तब ऐसा नहीं होता। ये विरोध प्रदर्शन एसी केबिन में बनाए गए प्लान का नतीजा हैं। जिन लोगों के हित के लिए योजना बनाई जा रही है, उनसे चर्चा की गई होती, तब ऐसी गलती नहीं होती।
50 प्रतिशत भूमि उज्जैन विकास प्राधिकरण लेता और बची 50 प्रतिशत किसान या भूस्वामी के पास ही रहती। 25 प्रतिशत भूमि में रोड, सेंटर लाइटिंग, स्टॉर्म वाटर ड्रेन, सीवर एवं वाटर लाइन और अंडर ग्राउंड विद्युत लाइन निर्माण होना था।
5 प्रतिशत भूमि पर पार्क (बच्चों के लिए झूले एवं स्लाइड्स, आम पब्लिक के लिए वॉकिंग पाथवे, ओपन जिम एवं लॉन व प्लांटेशन) विकसित किए जाने का प्लान था। 5 प्रतिशत भूमि पर आमजन की सुविधा के लिए पार्किंग, जनसुविधा केंद्र, हॉस्पिटल, स्कूल, विद्युत सब-स्टेशन आदि बनने थे।
प्राधिकरण ने 1806 किसानों की करीब 5000 सर्वे वाली जमीन को लैंड पूलिंग कर इस पर हाईटेक कुंभ सिटी बनाने की योजना तैयार की थी। अगर लैंड पूलिंग योजना सफल होती, तो ऐसा पहली बार होता, जब सिंहस्थ भूमि पर स्थायी सड़क, बिजली के पोल और अन्य निर्माण कर धार्मिक शहर विकसित किया जाता।
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