IAS संतोष वर्मा की बढ़ी मुश्किलें, मोहन सरकार ने बर्खास्तगी का केंद्र को भेजा प्रस्ताव

IAS संतोष वर्मा की बढ़ी मुश्किलें, मोहन सरकार ने बर्खास्तगी का केंद्र को भेजा प्रस्ताव

भोपाल: अजाक्स की साधारण सभा में ब्राह्मणों की बेटियों को लेकर विवादित बयान देकर चर्चा में आए प्रमोटी आईएएस संतोष वर्मा पर बर्खास्तगी की तलवार लटक रही है. इसका प्रस्ताव सामान्य प्रशासन विभाग ने केंद्रीय कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग को भेज दिया है. जल्द ही इस मामले में केंद्र से हरी झंडी मिलने की संभावना है. जीएडी की अवर सचिव फरहीन खान द्वारा कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन मंत्रालय, कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग के सचिव को भेजे गए प्रस्ताव में आईएएस वर्मा के बयान को सामाजिक तनाव उत्पन्न करने वाला बताया है.

सामाजिक समरसता को ठेस पहुंचाने वाला बयान

बर्खास्तगी के प्रस्ताव में लिखा गया है कि संतोष कुमार वर्मा राज्य प्रशासनिक सेवा से भारतीय प्रशासनिक सेवा में पदोन्नत आवंटन वर्ष 2012 के अधिकारी हैं. वर्मा के द्वारा 23 नवंबर 2025 को भोपाल में आयोजित अजाक्स के प्रांतीय अधिवेशन में सामाजिक समरसता को ठेस पहुंचाने वाले, आपसी वैमनस्य उत्पन्न करने वाले वक्तव्य दिया गया. इस वक्तव्य के प्रसारण के पश्चात प्रदेश के विभिन्न सामाजिक संगठनों, कर्मचारी संघों एवं जनप्रतिनिधियों द्वारा शासन को अनेक ज्ञापन प्राप्त हुए हैं. इससे यह भी स्पष्ट होता है कि वर्मा द्वारा दिए गए वक्तव्य से सामाजिक तनाव उत्पन्न हुआ है. अखिल भारतीय सेवा अधिकारी के अपेक्षित मर्यादित एवं संतुलित आचरण का उल्लंघन हुआ है. कई ज्ञापनों में यह भी अनुरोध किया गया है कि वर्मा को भारतीय प्रशासनिक सेवा से पृथक अथवा बर्खास्त किया जाए.

आईएएस अवॉर्ड के लिए जज का फर्जी आदेश

इस प्रस्ताव में संतोष वर्मा द्वारा राज्य प्रशासनिक सेवा से भारतीय प्रशासनिक सेवा में पदोन्नति होने के लिए कूट रचित तरीके से दस्तावेज तैयार करने की जानकारी भी भेजी गई है. इसमें कहा गया है कि संतोष वर्मा को 2019 में आईएएस अवॉर्ड होना था, लेकिन उस समय उनके खिलाफ आपराधिक प्रकरण लंबित होने की वजह से उनकी संनिष्ठा प्रमाणित नहीं की जा सकी थी. इसके बाद दूसरी बार पदोन्नति के लिए 10 सितंबर 2020 को आयोजित चयन समिति की बैठक में उनका नाम अंतिम रूप से सम्मिलित किया गया.

इसके बाद वर्मा द्वारा 8 अक्टूबर 2020 को विभाग में न्यायालय द्वारा पारित कथित आदेश 6 अक्टूबर 2020 की प्रति प्रस्तुत की गई. जिसमें उनके दोषमुक्त किए जाने का उल्लेख था. जब विभाग ने अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक इंदौर जोन को पत्र भेजकर सक्षम न्यायालय में की गई अपील की बारे में जानकारी चाही गई. उसमें कार्यालय पुलिस महानिरीक्षक, जिला इंदौर द्वारा दिनांक 16.10.2020 को जिला लोक अभियोजन अधिकारी का अभिमत प्रेषित किया गया, जिसमें उक्त दोषमुक्ति आदेश सही प्रतीत होने तथा अपील योग्य आधार न होने का उल्लेख किया गया. जिसके आधार पर प्रशासकीय अनुमोदन प्राप्त कर दिनांक 16.10.2020 को वर्मा की संनिष्ठा प्रमाणित की गई और उनको आईएएस अवॉर्ड हुआ.

इस तरह खुली संतोष वर्मा की पोल

संबंधित अधिकारी हर्षिता अग्रवाल द्वारा 28 अप्रैल 2021 को मुख्य सचिव को लिखित में शिकायत की गई. जिसमें लेख किया गया कि संतोष वर्मा द्वारा अपने पद का दुरुपयोग करते हुए शासकीय दस्तावेजों में फर्जीवाड़ा कर लंबित मामले में झूठी जानकारी शासन एवं प्रशासन को देकर आईएएस अवॉर्ड प्राप्त किया है. विभागीय अधिकारियों द्वारा आरोपी को असम्यक लाभ देकर आपराधिक कृत्य में सहयोग करने पर उचित जांच कर आरोपी का आईएएस अवॉर्ड निरस्त किया जाए.

यह आवेदन रिपोर्ट के लिए पुलिस महानिरीक्षक इंदौर जोन को भेजा गया. पुलिस महानिरीक्षक इंदौर द्वारा 30 जून 2021 को सूचित किया गया कि अपराध क्रमांक 851/2016 में दिनांक 06 अक्टूबर 2020 को ऐसा कोई निर्णय पारित नहीं हुआ है तथा प्रकरण वर्तमान में विचाराधीन है. जिसकी अगली सुनवाई 07 सितंबर 2021 निर्धारित है. साथ ही यह भी सूचित किया गया कि विजेंद्र सिंह रावत, जेएमएफसी इंदौर की शिकायत पर फर्जी आदेश के संबंध में अज्ञात आरोपी के खिलाफ अपराध दर्ज कराया गया है.

 

 

निलंबन के बाद फिर बहाल

पुलिस द्वारा प्रारम्भिक विवेचना में यह तथ्य प्रकाश में आने के बाद न्यायालय द्वारा संबंधित अपराध में ऐसा कोई आदेश पारित नहीं किया गया था तथा वर्मा द्वारा फर्जी आदेश प्रस्तुत कर आपराधिक कृत्य किया गया. इसके कारण वर्मा को 10 जुलाई 2021 को गिरफ्तार कर 11 जुलाई 2021 को जेएमएफसी के सामने प्रस्तुत किया गया. जिला एवं सत्र न्यायालय इंदौर एवं माननीय उच्च न्यायालय इंदौर खंडपीठ द्वारा वर्मा की जमानत याचिका खारिज की गई. हालांकि बाद में वर्मा को 27 जनवरी 2022 को जमानत मिल गई. इन सबके बीच वर्मा को 48 घंटे से अधिक पुलिस अभिरक्षा में रहने के कारण 13 जुलाई 2021 को अखिल भारतीय सेवाएं (अनुशासन एवं अपील) नियम, 1969 के अंतर्गत निलंबित किया गया. हालांकि बाद में वर्मा बहाल हो गए थे, लेकिन अभी भी इस मामले में विभागीय जांच की कार्रवाई प्रक्रियाधीन है.

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