मध्य प्रदेश में 5 नेशनल पार्कों को जोड़कर बनेगा टाइगर कॉरिडोर, 6 हजार करोड़ रुपए की आएगी लागत
भोपाल: मध्य प्रदेश के लिए यह गर्व की बात है कि देश में सबसे अधिक टाइगर हमारे पास है. इसलिए 5 नेशनल पार्क के बीच में टाइगर कॉरिडोर बनाने का निर्णय लिया है. यह सुझाव मुख्यमंत्री डॉक्टर मोहन यादव के माध्यम से सड़क एवं परिवहन मंत्री नितिन गडकरी के सामने रखा था. इस पर उन्होंने सहमति प्रदान कर दी है. एनएचएआई के लिए भी यह बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि देश में एक ही जगह ऐसी है, जहां 5 नेशनल पार्कों को जोड़कर टाइगर कॉरिडोर बनाया जा सकता है. यह 6000 करोड़ रुपए से भी अधिक लागत का होगा ये प्रोजेक्ट. ये बातें मध्य प्रदेश के लोक निर्माण विभाग के मंत्री राकेश सिंह ने पत्रकार वार्ता के दौरान कही.
टाइगर कॉरिडोर में जारी रहेगी पर्यटन आधारित गतिविधियां
राज्य सरकार के कार्यकाल के 2 साल होने के अवसर पर आयोजित पत्रकार वार्ता में मंत्री राकेश सिंह ने कहा कि "कॉरिडोर के सभी रोड पर पर्यटकों के अनुकूल सुविधा होगी. देश और दुनिया में भी यह टाइगर कॉरिडोर के नाम से ही जाना जाएगा. इससे पर्यटकों की बड़ी संख्या आकर्षित होगी. निश्चित रूप से जब किसी क्षेत्र में पर्यटक आता है, तो वहां के लोगों को रोजगार के नए अवसर भी प्रदान होते हैं. राज्य सरकार ने कॉरिडोर के लिए स्थान चिन्हित कर लिया है. यहां पर्यटक आधारित गतिविधियां चलती रहेंगी."
'1 साल में बनाए 506 लोक कल्याण सरोवर'
मंत्री सिंह ने बताया कि " जब कोई सड़क बनती है तो मिट्टी या अन्य खनिजों की आवश्यकता होती है. जहां भी निर्माण प्रक्रिया चलती है, वहां पर्यावरण को भी हानि पहुंचती है. लेकिन हमारे विभाग ने यह तय किया है कि जहां भी सड़क बनेगी उसके आसपास से मिट्टी को इस प्रकार निकाला जाए, जिससे कि वहां तालाब बन जाए. लोक निर्माण विभाग में 1 साल में ऐसे 506 लोक कल्याण सरोवरों का निर्माण किया है. आने वाले समय में और भी बहुत सारे कल्याण सरोवर बनाए जाएंगे. जिससे प्रदेश के भूजल स्तर को सुधारा जा सके."
जल संरक्षण के लिए भास्कराचार्य इंस्टीट्यूट की लेंगे मदद
लोक निर्माण मंत्री ने बताया कि "सड़कों के किनारे और फ्लाईओवर के ऊपर बारिश का पानी जो गिरता है, वह अनावश्यक बह जाता है. इसे रोकने के लिए भास्कराचार्य इंस्टीट्यूट के साथ सड़कों के किनारे रिचार्ज बोरवेल बनाए जा रहे हैं. जो सड़कों के आसपास वाटर लेवल को ठीक करेगा. इसके साथ ही फ्लाइओवर को भी रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम से जोड़ा जाएगा. जिससे इन पर पड़ने वाली वर्षा की एक-एक बूंद को संरक्षित किया जा सके."
300 करोड़ रुपए से बनेगा इंजीनियर ट्रेनिंग कम रिसर्च सेंटर
मंत्री राकेश सिंह ने बताया कि "अभी प्रदेश में इंजीनियर प्रशिक्षण की कोई व्यवस्था नहीं है. यदि हम उनके प्रशिक्षण के साथ अपडेट नहीं कर पाएंगे तो हम अपने काम के साथ न्याय नहीं कर पाएंगे. इसलिए मध्य प्रदेश में सरकारी इंजीनियरों की ट्रेनिंग के लिए अत्याधुनिक प्रशिक्षण केंद्र की स्थापना होगी. इस ट्रेनिंग सेंटर में मध्य प्रदेश के साथ-साथ अन्य दूसरे राज्यों के इंजीनियर भी प्रशिक्षण प्राप्त कर सकेंगे. इसमें सड़क निर्माण की जो अलग-अलग तकनीक है, उस पर भी रिसर्च किया जाएगा. इस ट्रेनिंग कम रिसर्च सेंटर की स्थापना करीब 300 करोड़ रुपए से होगी."
लोकपथ ऐप से 16 ठेकेदार ब्लैकलिस्टेड, 60 इंजीनियर सस्पेंड
मंत्री राकेश सिंह ने बताया कि "मध्य प्रदेश में सड़कों का महीने में दो बार औचक निरीक्षण करने के लिए लोकपथ एप का निर्माण किया गया है. इसके माध्यम से हर महीने की 5 और 20 तारीख को हमारे इंजीनियर सड़कों का वाचन निरीक्षण के लिए पहुंचते हैं. इसमें खास बात यह है कि ऐप के द्वारा ही अधिकारियों को उनके औचक निरीक्षण की जानकारी मिलती है. लोकपथ एप पर फोटो डालने के साथ शिकायत करने के 4 दिन के अंदर यदि गड्डा नहीं भरा जाता है या सड़क की मरम्मत नहीं की जाती है, तो संबंधित इंजीनियर को ऑटो जेनरेटेड नोटिस पहुंच जाता है. अब तक इस ऐप के माध्यम से 16 ठेकेदारों को ब्लैकलिस्टेड किया गया है और 60 इंजीनियर सस्पेंड किए जा चुके हैं."
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