‘बिहार की आईएएस अधिकारी होंगी युवती की मेंटर और गाइड’, सिविल सर्विसेज की तैयारी में पिता नहीं बनेगा रोड़ा

‘बिहार की आईएएस अधिकारी होंगी युवती की मेंटर और गाइड’, सिविल सर्विसेज की तैयारी में पिता नहीं बनेगा रोड़ा

जबलपुर: सिविल सर्विसेज की तैयारी के लिए घर छोड़ने वाली भोपाल की 18 साल की युवती अब अपने माता-पिता के साथ रहने को तैयार हो गई है. यह युवती अब अपने माता-पिता के साथ रहकर ही सिविल सर्विसेज की तैयारी करेगी. युवती के द्वारा फाइनल डिसीजन लेने के बाद मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस विनय सराफ की युगलपीठ ने युवती की सिविल सर्विस की तैयारी के लिए बिहार में नियुक्त महिला आईएएस अधिकारी को युवती का मेंटर और गाइड नियुक्त किया है.

पिता ने कहा-हाईकोर्ट के आदेश का होगा पालन

भोपाल निवासी याचिकाकर्ता पिता ने ईटीवी भारत से चर्चा करते हुए कहा कि उन्होंने हाईकोर्ट को आश्वासन दिया है कि वह अपनी बेटी का अच्छे से ध्यान रखेगा और उसकी पढ़ाई जारी रखेगा. इसके अलावा बेटी को सिविल सर्विसेस परीक्षा की तैयारी के लिए पूरी मदद करेंगे. बेटी पर शादी का दबाव भी नहीं बनाएंगे. हाईकोर्ट को दिये गये आश्वासन का पालन किया जायेगा. अब वह अपनी बेटी को आईएएस अधिकारी के रूप में देखना चाहता है.

आईएएस अधिकारी को नियुक्त किया मेंटर और गाइड

माता-पिता के साथ रहने की रजामंदी के बाद हाईकोर्ट की युगलपीठ ने युवती की सिविल सर्विस की बेहतर तैयारी के लिए बिहार में नियुक्त महिला आईएएस अधिकारी को युवती का मेंटर और गाइड नियुक्त किया है. आईएएस अधिकारी सुश्री वंदना प्रेयसी सेक्रेटरी सोशल वेलफेयर डिपार्टमेंट, पटना में पदस्थ हैं. हाईकोर्ट ने उनसे आग्रह किया है कि वह युवती की मेंटर और गाइड बनकर सिविल सर्विस की तैयारी में उसकी मदद करें. इसके साथ ही युगलपीठ ने विवेचना के दौरान युवती से जब्त की गई सभी सामग्री उसे वापस करने के आदेश विवेचना अधिकारी को दिये हैं.

हाईकोर्ट की सलाह पर बेटी ने कुछ दिन माता-पिता के साथ गुजारे

हाईकोर्ट की पिछली सुनवाई में घर से अलग इंदौर में रहकर नौकरी और सिविल सर्विसेज की तैयारी कर रही युवती ने माता-पिता के साथ रहने से साफ इंकार कर दिया था लेकिन हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस विनय सराफ की युगलपीठ ने युवती को कुछ दिन माता-पिता के साथ रहने की सलाह दी थी और कहा था कि यदि उसे अच्छा लगे तो वह साथ रह सकती है और यदि नहीं तो उसकी अलग रहने की व्यवस्था कराई जाएगी.

युवती ने माता-पिता के साथ कुछ दिन रहने के बाद निर्णय लिया था कि अब वह माता-पिता के साथ रहकर ही सिविल सर्विसेज की तैयारी करेगी. युवती ने अपने इस निर्णय से हाईकोर्ट को 12 नवंबर को हुई पिछली सुनवाई में ही अवगत करा दिया था.

क्या था पूरा मामला

भोपाल के बजरिया थाना क्षेत्र निवासी एक पिता की ओर से बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका हाईकोर्ट में दायर की गई थी. जिसमें कहा गया था कि उन्होंने बेटी की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई थी, लेकिन महीनों गुजर जाने के बावजूद पुलिस उसे तलाश नहीं कर पाई है. न्यायालय ने सुनवाई करते हुए पुलिस को युवती की तलाश करते हुए उसे न्यायालय के समक्ष पेश करने के निर्देश दिए थे.

 

 

पुलिस ने 10 महीने की तलाश के बाद युवती को ढूंढ़ा

पुलिस ने इंदौर से उसे 10 महीने बाद बरामद किया तो पता चला कि वह किराये के कमरे में रहते हुए एक निजी कंपनी में नौकरी कर रही है और सिविल सर्विस परीक्षा की तैयारी कर रही है. मामले की पिछली सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट में उपस्थित युवती ने युगलपीठ को बताया था कि उसके पिता उसे पढ़ाई नहीं करने दे रहे थे और शादी का दबाव बना रहे थे. उनकी प्रताड़ना से परेशान होकर वह घर से निकल गई और इंदौर में एक निजी कंपनी में नौकरी करके अपना खर्च निकालने लगी. इसके साथ ही वह सिविल सर्विस की तैयारी के लिए कोचिंग कर रही है. वह सिविल सर्विसेज में जाने का सपना संजोए हुए मेहनत कर रही है. युवती ने पिता के साथ नहीं भेजने की गुहार लगाई थी.

12 नवम्बर को हुई सुनवाई के दौरान पिता की ओर से हाईकोर्ट को भरोसा दिलाया गया कि वे अपनी बेटी का अच्छे से ध्यान रखेगा और यह पक्का करेगा कि वह अपनी पढ़ाई जारी रखे. पिता ने न्यायालय से बेटी को घर भेजने का आग्रह किया. जिसके बाद न्यायालय ने युवती को कहा था कि वह चार-पांच दिनों तक अभिभावक के साथ रहकर देखे. अगर माहौल बेहतर नहीं लगे तो कलेक्टर को आदेश देंगे कि वह उसकी बाहर रहने और पढ़ाई की समुचित व्यवस्था कराएंगे. याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता दीपक कुमार रघुवंशी ने पैरवी की थी.

0 Response to "‘बिहार की आईएएस अधिकारी होंगी युवती की मेंटर और गाइड’, सिविल सर्विसेज की तैयारी में पिता नहीं बनेगा रोड़ा"

Post a Comment

For any queries, feel free to contact us.

Ads on article

Advertise under the article