
कफ सिरप कांड के पीड़ित की फरियाद: अस्पताल में डॉक्टर की तैनाती की लगाई गुहार
छिंदवाड़ा: ''साहब गांव में अस्पताल की चमचमाती बिल्डिंग भी बनकर तैयार है. जांच करने के लिए मशीन भी है, लेकिन जरूरत पड़ जाए तो डॉक्टर तैनात नहीं है.'' जहरीले कफ सिरप पीने से अपने बेटे को खो चुके रिधोरा के कपिल पवार ने उनके दुख में शामिल होने पहुंचे मध्य प्रदेश के स्वास्थ्य राज्य मंत्री नरेंद्र शिवाजी पटेल से ये बातें कही. स्वास्थ्य राज्य मंत्री नरेंद्र शिवाजी पटेल रविवार को जहरीले कफ सिरप पीने से जान गवां चुके बच्चों के परिजनों से मिलने परासिया पहुंचे थे. यहां उन्होंने बच्चों के परिजनों से कहा कि मध्य प्रदेश सरकार हर पीड़ित परिवार के साथ है. किसी भी आरोपी को बक्शा नहीं जाएगा.
किसी भी आरोपी को बक्शा नहीं जाएगा
पहले मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव फिर स्वास्थ्य व उप मुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ला और रविवार को स्वास्थ्य राज्य मंत्री नरेंद्र शिवाजी पटेल जहरीले कफ सिरप पीकर अपनी जान गंवा चुके मासूम बच्चों के परिजनों के पास संवेदनाओं का मरहम लगाने पहुंचे. उन्होंने कहा कि "मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में मध्य प्रदेश सरकार पूरी संवेदनशीलता के साथ इस घटना के दोषियों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई सुनिश्चित करने के लिए तैयार है. दोषियों को किसी भी स्थिति में बख्शा नहीं जाएगा. उनके खिलाफ कठोरतम कार्रवाई होगी. संकट की घड़ी में प्रदेश सरकार पीड़ित परिवारों के साथ पूरी मजबूती से खड़ी है.''
जिला अस्पताल का किया दौरा, जताई नाराजगी
स्वास्थ्य राज्य मंत्री नरेंद्र शिवाजी पटेल ने छिंदवाड़ा के मेडिकल कॉलेज से संचालित होने वाले जिला अस्पताल का निरीक्षण किया. इस दौरान उन्होंने अस्पताल स्टाफ भर्ती मरीज और उनके परिजनों से मुलाकात ही और अस्पताल की व्यवस्थाओं के संबंध में जानकारी ली. यहां पहुंचने पर स्वास्थ्य राज्य मंत्री को सफाई नहीं दिखाई दी, जिस पर उन्होंने सिविल सर्जन को फटकार लगाई और कहा कि सरकार ने बिल्डिंग बहुत अच्छी बना कर दे दी है, लेकिन इसे साफ और स्वच्छ रखने की जिम्मेदारी अस्पताल प्रबंधन की है. बेहतर इलाज के साथ-साथ साफ सफाई का भी विशेष ध्यान जरूरी है.
डॉक्टरों को तैनात करने की लगाई गुहार
जहरीले कफ सिरप से 22 महीने के पोते को खो चुके दादा ने मंत्री नरेंद्र शिवाजी पटेल से कहा कि "हमारे साथ जो होना था वह तो हो गया, लेकिन सरकार और प्रशासन की लापरवाही का खामियाजा आज भी ग्रामीण भुगत रहे हैं." पीड़ित ने कहा कि "वह आर्थिक रूप से सक्षम थे, तो उन्होंने करीब 15 लाख रुपए खर्च कर दिया, लेकिन उनका पोता नहीं बच पाया."
डॉक्टर के इंतजार में अस्पताल
पीड़ित पिता कपिल पवार का कहना है कि" रिधोरा गांव में स्वास्थ्य व्यवस्था के हालत ये है कि अस्पताल की बिल्डिंग बनकर तैयार है. मरीजों की जांच के लिए मशीनें भी आ गई हैं. बस खत्म नहीं हो रहा तो डॉक्टर साहब के आने का इंतजार. अस्पताल में डॉक्टर तो बड़ी बात है अब तक एक भी स्वास्थ्य कर्मी की पोस्टिंग नहीं है. ऐसे में लोगों को मजबूरी में झोलाछाप डॉक्टरों के पास जाना पड़ता है. ऐसे ही कई गांव हैं, जहां पर अस्पताल की बिल्डिंग बनकर तैयार है लेकिन स्टाफ नहीं है. अगर प्राथमिक तौर पर ही सही इलाज हो जाएगा तो इस तरह की आपदा नहीं आएगी."
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