रतलाम पुलिस के लिए सिरदर्द आदिवासी प्रथा, भांजगड़ा से संगीन अपराधों में हो जाता है समझौता

रतलाम पुलिस के लिए सिरदर्द आदिवासी प्रथा, भांजगड़ा से संगीन अपराधों में हो जाता है समझौता

रतलाम: आदिवासी अंचल में आदिवासी समाज की अनोखी परंपरा रतलाम पुलिस के लिए सरदर्द बन गई है. यहां किसी भी विवाद में होने वाले भांजगड़े (समझौते) और इसके ऐवज में ली जाने वाली रकम को लेकर होने वाले विवादों से पुलिस भी परेशान है. जमीन या संपत्ति संबंधित विवाद से लेकर हत्या और दुष्कर्म के मामलों में भी यहां सामाजिक स्तर पर भांजगड़े की प्रथा चल रही है. ऐसे में कई संगीन अपराध करने वाले अपराधी सजा पाने से बच रहे हैं. वहीं, भांजगड़े की वजह से आदिवासी अंचलों में भी विवाद और इसके दुरुपयोग हो रहा है.

भांजगड़ा परंपरा को लेकर ताजा विवाद बाजना थाना क्षेत्र के कुपड़ा चरपोटा गांव में सामने आया है. जहां 4 महीने पहले एक युवक द्वारा आत्महत्या कर लेने के मामले में उसके परिजन पुलिस को शिकायत करने के बजाय गांव के जिस परिवार पर उन्हें शक है, उसी के घर पर पहुंच कर भांजगड़े की 5 लाख रुपए की राशि की मांग कर रहे हैं. जिसकी शिकायत अब बाजना पुलिस थाने पर दर्ज की गई है.

फरियादी रितु खराड़ी ने बताया कि "शांतु खराड़ी के बेटे रमेश ने 4 महीने पहले किसी कारण से आत्महत्या कर ली थी. जिसका दोषी शांतु और उसका परिवार मुझे मानते हैं और दीपावली के दिन भांजगड़े के 5 लाख रुपए की मांग कर मुझसे विवाद किया और मारपीट कर घर पर भी तोड़फोड़ की है."

क्या है यह भांजगड़ा परंपरा

भांजगड़ा यानी समझौता होता है. आदिवासी समाज में होने वाले किसी भी विवाद या अपराध के बाद पुलिस थाने या कोर्ट कचहरी की बजाय भांजगड़ा होता है. जहां दोनों पक्ष समाज के पटेल या तड़वी के माध्यम से समझौता करते हैं और निर्धारित की गई राशि और रकम का आदान-प्रदान करते हैं. इसके बाद थाने पर की गई शिकायत या कोर्ट में किया गया मुकदमा वापस ले लिया जाता है, लेकिन इस प्रथा का नकारात्मक पक्ष यह है कि दुष्कर्म पीड़ित और हत्या जैसे संगीता अपराध से पीड़ित परिवार को न्याय ही नहीं मिल पाता है.

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