कभी देखी है बंदर जैसी दिखने वाली मकड़ी, पेंच टाइगर रिजर्व में आराम फरमाते दिखी घोस्ट स्पाइडर

कभी देखी है बंदर जैसी दिखने वाली मकड़ी, पेंच टाइगर रिजर्व में आराम फरमाते दिखी घोस्ट स्पाइडर

सिवनी: देश में वैसे तो आपने अपने आसपास कई प्रकार की मकड़ियां देखीं होंगी लेकिन आज हम एक ऐसी मकड़ी के बारे में बताने जा रहे हैं, जो बंदर जैसी दिखती है. इसके पैर कांटों की तरह होते हैं. इसे घोस्ट स्पाइडर भी कहा जाता है. इस मकड़ी का शिकार करने का तरीका अनोखा होता है. जो एशिया में पाए जाने वाली रात में गोलाकार जाल बनाने वाली प्रजाति है. इससे मिलते जुलते प्रजाति की मकड़ी फिलीपींस में भी पाई जाती है.

मंकी ऑर्ब वीवर स्पाइडर

पेंच नेशनल पार्क में फॉरेस्ट गार्ड मनोज सलामे गस्ती कर रहे थे. तभी अचानक उन्हें लगा कि पत्तों के ऊपर कोई छोटा सा बंदर का बच्चा बैठा हुआ है. जैसे ही गार्ड पास में पहुंचा तो देखा कि ये तो बंदर नहीं बल्कि बंदर जैसी दिखने वाली मकड़ी है. जिसके कांटेदार पैर हैं. ऐसा अनोखा जीव पहले कभी भी इलाके में नहीं देखा गया था. बताया गया कि यह अपने शरीर पर बने चमकीले धब्बों से शिकार को आकर्षित करती है और कांटेदार पैर से उसे दबोच लेती है. इस मकड़ी को 'मंकी ऑर्ब वीवर स्पाइडर' के नाम से जाना जाता है.

आराम के समय दिखती है बंदर जैसी

वाइल्डलाइफ एक्सपर्ट डॉ. अंकित मेश्राम ने बताया कि "बंदर जैसी दिखने वाली मकड़ी (Neoscona punctigera) एशिया में पाई जाने वाली एक रात्रिचर गोलाकार जाल बनाने वाली प्रजाति है. आराम के समय यह बंदर जैसी दिखती है. इसी वजह से इसका नाम "मंकी ऑर्ब वीवर स्पाइडर" पड़ा. इसके कवच में एक छोटा गड्ढा या नाली जैसी होती है जिससे पेट की मांसपेशियां अंदर से जुड़ी रहती हैं.

दिन में करती है आराम और रात में शिकार

वाइल्डलाइफ एक्सपर्ट डॉ. अंकित मेश्राम ने बताया कि "मंकी स्पाइडर रात में गोलाकार जाल बनाकर शिकार करती है. यह अपने कांटेदार पैरों से शिकार पकड़ती है और दबोच लेती है. दिन के समय पत्तों पर सिकुड़कर या छिपकर आराम करती है. ये दिन के समय पेड़ की छाल पर बैठने पर भी अच्छी तरह से छिप जाती है. इस तरह की मादा मकड़ी की लंबाई लगभग 1.1 सेमी यानि 0.43 इंच और नर मकड़ी की लंबाई लगभग 0.7 सेमी यानि 0.28 इंच तक होती है.

फिलीपींस में मिलती है मंकी ऑर्ब वीवर स्पाइडर

रात में शिकार करते समय यह जाल में बैठकर पेट के नीचे अपने चमकीले धब्बों से कीटों को आकर्षित करती है. इस मकड़ी की प्रजाति आमतौर पर फिलीपींस में भी देखी जाती है. जहां मादाओं को अक्सर नर मकड़ी से लड़ते हुए देखा जाता है. जब यह मकड़ी आराम करती है तो खुद को बंदर जैसी आकृति में बना लेती है. जिससे यह इतनी डरावनी दिखती है कि दूर से यदि रात में कोई इसे देख ले तो डर जाए. इसलिए इसे घोस्ट स्पाइडर यानी भूत मकड़ी भी कहा जाता है.

'जंगल देखो, जंगल वालों की नजर से'

पेंच टाईगर रिजर्व के डिप्टी डायरेक्टर रजनीश कुमार सिंह ने बताया कि "पेंच टाइगर रिजर्व में एक अभियान चलाया जा रहा है. जिसका नाम है 'जंगल वालों की नजर से'. जिसका मतलब है कि जंगल देखो, जंगल वालों की नजर से. इसके तहत पेंच टाइगर रिजर्व और वन विभाग में काम करने वाले कोई भी कर्मचारी अपने मोबाइल कैमरा से जंगल के कोई भी जीव, पेड़-पौधे या यूनिक तस्वीर लाता है तो उसे इनाम भी दिया जाता है.

 

 

इसी के तहत अलग-अलग कर्मचारी अपने काम के साथ-साथ इन पर भी नजर रखता है. इसका उद्देश्य जंगल की बेहतर देखरेख के साथ ही जंगल की हर चीज से कनेक्टिविटी करने का है, क्योंकि जंगल के चप्पे चप्पे की नजर और जानकारी जंगल के कर्मचारियों को होती है.

अनोखे जीवों का संसार है पेंच नेशनल पार्क

सिवनी और छिंदवाड़ा जिले के अंतर्गत आने वाला पेंच नेशनल पार्क मध्य प्रदेश के प्रमुख आकर्षणों में से एक है. पेंच नेशनल पार्क, पेंच टाइगर रिजर्व का ही हिस्सा है, जो 1180 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है. इसमें से 768 वर्ग किलोमीटर का बफर जोन भी शामिल है और 411.33 वर्ग किलोमीटर कोर एरिया है. यह पार्क अपने समृद्ध जीवों के लिए प्रसिद्ध है. दुर्लभ से लेकर लुप्तप्राय कई जंगली प्रजातियों का स्थान है.

रिसर्च के लिए दुनिया भर से आते हैं शोधकर्ता

पेंच टाईगर रिजर्व में टाइगर के अलावा भी अद्भुत पक्षियों, तितलियों और अन्य जीवों का डेरा है. जो शोधकर्ताओं के लिए भी विशेष महत्व रखता है. इसलिए दुनिया भर के कई देशों के शोधकर्ता पेंच टाइगर रिजर्व में कई-कई दिनों तक अपनी रिसर्च के लिए रुकते हैं.

शाकाहारी हैं अधिकांश जीव

पेंच टाइगर रिजर्व की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार पेंच टाइगर रिजर्व में शाकाहारी जीव ज्यादा हैं. इस क्षेत्र में बड़ी संख्या में बाइसन, सांभर, बार्किंग हिरण, चौसिंघा, चिंकारा और जंगली सुअर हैं. अन्य जानवरों में सियार, लोमड़ी, पाम सिवेट, छोटा भारतीय सिवेट, जंगली बिल्ली, सामान्य नेवला, छोटा भारतीय नेवला, रूडी नेवला, लकड़बग्घा, साही, रैटल शामिल हैं.

325 से अधिक प्रवासी पक्षियों का डेरा

यहां स्थानीय और प्रवासी पक्षियों की 325 से ज्यादा प्रजातियां हैं, जिनमें मालाबार पाइड हॉर्नबिल, इंडियन पिटा, ऑस्प्रे, ग्रे-हेडेड फिशिंग ईगल, व्हाइट आईड बज़र्ड, गिद्धों की प्रजातियां आदि शामिल हैं. सर्दियों में ब्राह्मणी बत्तख, पिंटेल बत्तख, बारहेडेड गीज, कूट्स, पोचार्ड्स, विगॉन, गैडवॉल, मैलार्ड आदि सहित हजारों प्रवासी जलपक्षी पार्क के भीतर स्थित तालाबों में आते हैं.

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