बरगी बांध में लीकेज से हड़कंप, जांच के लिए भोपाल-दिल्ली से पहुंचे विशेषज्ञ

बरगी बांध में लीकेज से हड़कंप, जांच के लिए भोपाल-दिल्ली से पहुंचे विशेषज्ञ

जबलपुर: बरगी बांध के सेफ्टी ऑडिट के लिए सोमवार को भोपाल और दिल्ली से अधिकारियों व इंजीनियर की टीम जबलपुर पहुंची है. हालांकि इस बीच बरगी बांध के गैलरी से पानी लीक होने का एक वीडियो भी वायरल हुआ था. जिस पर अधिकारियों का कहना है कि "गैलरी से पानी लीक होना एक सामान्य प्रक्रिया है. इसमें किसी को भी डरने की जरूरत नहीं है. बरगी बांध पूरी तरह सुरक्षित है." सेफ्टी ऑडिट की टीम ने बरगी बांध से जुड़ी जानकारियां ली.

बरगी बांध पर प्रशासन का जबाव

जबलपुर में नर्मदा नदी पर बने बरगी बांध का एक वीडियो पिछले दिनों सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था. जिसमें दावा किया जा रहा था बरगी बांध के तीन नंबर गेट के नीचे की गैलरी से पानी का जरूरत से ज्यादा रिसाव हो रहा है. इस कारण बरगी बांध खतरे में है. अब इस पर बरगी बांध के प्रभारी अधिकारी इंजीनियर राजेश सिंह गौड ने जवाब दिया है.

'बांध में सीपेज होना सामान्य प्रक्रिया'

इंजीनियर राजेश सिंह गौड बताया कि "बरगी बांध पूरी तरह सुरक्षित है, जहां तक पानी के रिसाव की बात है, बांध में सीपेज होना सामान्य प्रक्रिया है. इस सीपेज का पानी गैलरी में इकट्ठा होता है. गैलरी में 80 हॉर्स पावर के पंप लगे हुए हैं. इन्हीं पंपों से इस पानी को बाहर निकाल दिया जाता है. इसलिए यह कहना गलत है कि बांध में पानी का रिसाव हो रहा है."

हर साल होता है सेफ्टी ऑडिट

बता दें कि हर साल बांध का सेफ्टी ऑडिट होता है. इसके लिए भोपाल से नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण के अधिकारियों के साथ दिल्ली से भी अधिकारी आते हैं सेफ्टी ऑडिट में बांध से जुड़ी रिपोर्ट्स अधिकारी देखते हैं. यदि कुछ भी गंभीर रहता है तो उसे ठीक करने की सलाह दी जाती है. राजेश सिंह गौड का कहना है कि "यह सामान्य प्रक्रिया है और सेफ्टी ऑडिट हर साल होता है. हर साल इसी तरह अधिकारी आते हैं."

अधिकारियों ने बरगी बांध के रिसाव को देखा

बांध के सबसे निचले क्षेत्र में सीमेंट का एक बड़ा स्ट्रक्चर होता है. यह स्ट्रक्चर बांध के एक छोर से दूसरे छोर तक जाता है. इसे ही गैलरी कहते हैं. इसमें पानी का स्टोरेज होता है. लगातार पानी भरा रहने के कारण हल्की सीलन हो जाती है. इंजीनियर राजेश का कहना है कि "यदि सीपेज नहीं होता है, तो बांध कमजोर हो जाता है. यह एक तकनीकी पहलू है, जिसे केवल जानकार ही समझ सकते हैं. इसलिए बांध का सीपेज कम ज्यादा होता रहता है, लेकिन यह कोई समस्या नहीं है."

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