ब्रह्ममुहूर्त में मैहर की मां शारदा का श्रृंगार और पूजा, माई का आशीर्वाद लेने भक्त चढ़े 1063 सीढ़ियां

ब्रह्ममुहूर्त में मैहर की मां शारदा का श्रृंगार और पूजा, माई का आशीर्वाद लेने भक्त चढ़े 1063 सीढ़ियां

मैहर: शारदीय नवरात्रि का शुभारंभ 22 सितंबर सोमवार से पूरे देशभर में धूमधाम के साथ हो गया है. मां शारदा की नगरी मैहर में भी नवरात्रि का पर्व आस्था और श्रद्धा के साथ मनाया जा रहा है. सोमवार की सुबह ब्रह्ममुहूर्त में मां शारदा देवी का भव्य श्रृंगार कर विशेष पूजा-अर्चना की गई. इस अवसर पर मंदिर के प्रधान पुजारी पंडित पवन पांडेय ने वैदिक मंत्रोच्चार और धार्मिक परंपराओं के साथ मां का पूजन संपन्न कराया.

मां का भव्य श्रृंगार
नवरात्रि के प्रथम दिवस पर मां शारदा देवी को विशेष श्रृंगार से सजाया गया. रत्न जटित आभूषणों, फूलों और चुनरी से सुसज्जित मां का दरबार भक्तों के लिए अद्भुत और अलौकिक आस्था का केंद्र बना. मां की आरती और पूजन के बाद श्रद्धालुओं के लिए कपाट खोले गए. सुबह से ही भक्तों की लंबी कतारें दर्शन के लिए लग चुकी थीं. त्रिकुटा पर्वत पर बने इस मंदिर तक पहुंचने के लिए भक्तों को 1063 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं.

देशभर से पहुंचे श्रद्धालु
नवरात्रि के शुभारंभ पर मैहर मंदिर में आस्था का सैलाब उमड़ पड़ा. उत्तर प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़, दिल्ली और महाराष्ट्र सहित देश के विभिन्न हिस्सों से श्रद्धालु मां शारदा के दर्शन के लिए पहुंचे. मंदिर प्रांगण में भक्तों द्वारा "जय माता दी" के गगनभेदी नारों से वातावरण गूंज उठा.

मेले का शुभारंभ
नवरात्रि के अवसर पर मैहर में पारंपरिक मेला भी प्रारंभ हो गया है. शहर की गलियों से लेकर मंदिर परिसर तक दुकानें सज गई हैं. झूले, प्रसाद, खिलौने और धार्मिक सामग्री की दुकानों पर सुबह से ही चहल-पहल देखी जा रही है. मेले में सुरक्षा और व्यवस्था के लिए पुलिस बल की विशेष तैनाती की गई है, ताकि श्रद्धालुओं को किसी भी प्रकार की असुविधा न हो.

प्रशासन की तैयारी
श्रद्धालुओं की भीड़ को देखते हुए प्रशासन ने पहले ही विशेष इंतजाम किए हैं. मंदिर तक पहुंचने वाले मार्गों पर बैरिकेडिंग, चिकित्सा दल, पेयजल व्यवस्था और यातायात नियंत्रण की व्यवस्था की गई है. नगर पालिका और मंदिर समिति ने परिसर की सफाई और प्रकाश व्यवस्था पर विशेष ध्यान दिया है. इसके साथ ही 22 सितंबर से 2 अक्टूबर नवरात्रि समापन तक नगर क्षेत्र में मांस, मछली और अंडे के विक्रय पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया है. ताकि नगर की धार्मिक और पवित्र छवि बनी रहे.

 

 

त्रिकुटा पर्वत पर मौजूद है शक्तिपीठ
मां शारदा मंदिर मध्य प्रदेश के सतना जिले के मैहर नगर में त्रिकुटा पर्वत पर स्थित एक प्राचीन और प्रसिद्ध शक्तिपीठ है. यह मंदिर विद्या और ज्ञान की अधिष्ठात्री देवी मां शारदा को समर्पित है. पौराणिक मान्यता है कि जब सती माता का शरीर खंड-खंड हुआ था, तब उनके हार का अंश इस स्थान पर गिरा, इसलिए इसका नाम पड़ा "मैहर" (मां का हार). मंदिर तक पहुंचने के लिए भक्तों को 1063 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं, हालांकि श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए यहां रोपवे और वाहन सेवा भी उपलब्ध है.

वीर योद्धा आल्हा और ऊदल ने ही मंदिर की खोज!
कहा जाता है कि वीर योद्धा आल्हा और ऊदल ने ही इस मंदिर की खोज की थी. आल्हा ने यहां 12 वर्षों तक कठोर तप किया और मां को "माई" कहकर पुकारा. तभी से यहां की देवी शारदा माई के नाम से जानी जाने लगीं. एक अन्य परंपरा के अनुसार, यहां सर्वप्रथम पूजा आदि शंकराचार्य ने की थी, और विक्रम संवत 559 में देवी की प्रतिमा की स्थापना की गई थी. यह मंदिर न केवल आस्था और श्रद्धा का केंद्र है, बल्कि इतिहास, अध्यात्म और लोककथाओं का भी अनमोल संगम है.

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