
जबलपुर में MRP से ऊपर शराब बिकने का मामला पहुंचा हाईकोर्ट, आबकारी विभाग भी कटघरे में
जबलपुर : जिले में शराब ठेकेदारों की मनमानी चरम पर है. शराब ठेकेदार कानून व सरकारी नियमों से बेखौफ एमआरपी से अधिक मूल्य पर शराब बेच रहे हैं. इससे सरकार व आम जनता को आर्थिक क्षति पहुंचाई जा रही है. इन आरोपों के साथ हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई थी. याचिका में आरोप लगाते हुए कहा गया था कि आबकारी विभाग की शह पर पूरे जिले में ये अवैध कारोबार चल रहा है. इस मामले में हाईकोर्ट के एक्टिंग चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा व जस्टिस विनय सराफ की युगलपीठ ने मामले की प्रारंभिक सुनवाई की.
जबलपुर में शराब ठेकेदारों की खुली लूट
दरअसल, जबलपुर निवासी एडवोकेट दीपांशु साहू की तरफ से ये जनहित याचिका दायर की गई थी. याचिका में कहा गया कि पूरे शहर में आबकारी विभाग की मौन स्वीकृति के बाद मिलीभगत से ठेकेदार एमआरपी से ऊपर शराब बेंच रहे हैं, जिससे शासन और शराब खरीददारों को आर्थिक नुकसान हो रहा है. याचिका में आगे कहा गया कि एमआरपी से जो अधिक राशि शराब ठेकेदार वसूल रहे हैं. इसपर कोई टैक्स भी नहीं दिया जाता.
आबकारी विभाग कटघरे में
जनहित याचिका में आरोप है कि ऐसे मामलों की शिकायत जब आबकारी विभाग से की जाती है तो आबकारी विभाग द्वारा शराब ठेकेदारों से सिर्फ माफीनामा लेकर मामले को रफा दफा कर दिया जाता है. नियमानुसार कोई ठोस कार्रवाई नहीं की जाती. आबकारी विभाग के संरक्षण के कारण शराब माफियाओं के हौसले बुलंद है और वह मनमाने दाम पर शराब बेचकर करोड़ों का खेल कर रहे हैं, जिसका न तो कोई जीएसटी देता है और न ही अन्य कोई टैक्स.
न कोई रेट लिस्ट, न कोई रसीद
याचिका में ये भी कहा गया कि शराब दुकानों में रेट लिस्ट भी चस्पा नहीं की जाती और ना ही नियमानुसार रसीद या बिल भी नहीं दिया जाता है. याचिका में आबकारी आयुक्त, जिला आबकारी अधिकारी जबलपुर, जिला कलेक्टर, कमर्शियल टैक्स अधिकारी भोपाल को पक्षकार बनाया गया है. हाईकोर्ट के एक्टिंग चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा व जस्टिस विनय सराफ की युगलपीठ ने सुनवाई के बाद अनावेदकों को नोटिस जारी कर चार सप्ताह में जवाब मांगा है. याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता अमित खत्री ने पैरवी की.
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